क्रिसमस का इतिहास

December 24, 2007

क्रिसमस का इतिहास
आलेख
क्रिसमस का इतिहास
-डॉ0 मधु सन्धु
क्रिसमस का इतिहास लगभग चार हजार वर्ष पुराना है। क्रिसमस की परम्परा ईसा के जन्म से शताब्दियों पुरानी है। क्रिसमस के दिनों उपहारों का लेन देन, प्रार्थना गीत, अवकाश की पार्टी तथा चर्च के जुलूस- सभी हमें बहुत पीछे ले जाते हैं। यह त्योहार सौहार्द, आह्लाद तथा स्नेह का संदेश देता है। एक शोध के अनुसार क्रिसमस एक रोमन त्योहार सैंचुनेलिया SANTURNALIA का अनुकरण है। SANTURNUS रोमन देवता है। यह त्योहार दिसम्बर के मध्यान्ह से जनवरी तक चलता है। लोग तरह तरह के पकवान बनाते थे। मित्राों से मिलते थे। उपहारों का अदल-बदल होता था। फूलों और हरे वृक्षों से घर सजाए जाते थे। स्वामी और सेवक अपना स्थान बदलते थे।
एन्साइक्लोपीडिया के अनुसार कालान्तर में यह त्योहार बरुमेलिया (BRUMALIA) यानी सर्दियों के बड़े दिन के रूप में मनाया जाने लगा। ईसवी सन् की चौथी शती तक यह त्योहार क्रिसमस में विलय हो गया। क्रिसमस मनाने की विधि बहुत कुछ रोमन देवताओं के त्योहार मनाने की विधि से उधार ली गई है। कहते हैं कि यह त्योहार ईसा मसीह के जन्मोत्सव के रूप में सन् 98 से मनाया जाने लगा। सन् 137 में रोम के बिशप ने इसे मनाने का स्पष्ट ऐलान किया। सन् 350 में रोम के यक अन्य बिशपयूलियस ने दिसम्बर 25 को क्रिसमस के लिए चुना था। इतिहासकारों की यह राय भी मिलती है कि 25 दिसम्बर ईसा मसीह का जन्म दि नही नहीं था। इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर कहीं नहीं पिलता कि 25 दिसम्बर ही ईसा मसीह का जन्म कब हुआ। न तो बाईबल इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर देती है और न ही इतिहासकार ईसा की जन्म तिथि की दृढ़ स्वर में घोषणा करते हैं। ऐसे तथ्य भी मिलते हैं, जिनसे स्पष्ट होता है कि ईसा का जन्म सर्दियों में नहीं हुआ था। यहीं पर यह तथ्य हमारा ध्यान आकर्षित करता है कि क्रिसमस सर्दियों में ही क्यों मनाया जाता है।
एक शोध हमें इस त्योहार का मूल मैसोपोटामिया में खोजने को मजबूर करता है। मैसोपोटामिया में लोग अनेक देवताओं पर विश्वास करते थे, किन्तु उनका प्रधान देवता मार्डुक (MARDUK) था। हर वर्ष सर्दियों के आगमन पर माना जाता था कि मार्डुक अव्यवस्था के दानवों से युद्ध करता है। मार्डुक के इस संघर्ष के सहायतार्थ नव वर्ष का त्योहार मनाया जाता था। मैसोपोटेमिया का राजा मार्डुक के मंदिर में देव प्रतिमा के समक्ष वफादारी की सौगंध खाता था। परम्पराएं राजा को वर्ष के अंत में युद्ध का आमन्त्रण देती थी ताकि वह मार्डुक की तरफ से युद्ध करता हुआ वापिस लौट सके। अपने राजा को जीवित रखने के लिए मैसोपोटामिया के लोग एक अपराधी का चयन करके उसे राजसी वस्त्र पहनाते थे। उसे राजा का सम्मान और सभी अधिकार दिए जाते थे और अंत में वास्तविक राजा को बचाने के लिए उसकी हत्या कर दी जाती थी। क्रिसमस के अन्तर्गत मुख्य ध्वनि भगवान को प्रसन्न करने की ही है।
परशिया तथा बेबिलोनिया में ऐसा ही एक त्योहार सैसिया (SACAEA) नाम से मनाया जाता था। शेष सभी रस्मों के साथ-साथ इसमें एक और रस्म थी। दासों को स्वामी और स्वामियों को दास बना दिया जाता था।
आदि यूरोपियन लोग चुड़ैलों, भूतों और दुष्ट आत्माओं में विश्वास करते थे। जैसे ही सर्दी के छोटे दिन और लम्बी-ठंडी रातें आती, लोगों के मन में भय समा जाता कि सूर्य देवता वापिस नहीं लौटेंगें। सूर्य को वापिस लाने के लिए इन्हीं दिनों विशेष रीति रिवाजों का पालन होता। समारोह का आयोजन होता।
सकैण्डीनेविया (SCANDINAVIA) में सर्दी के महीनों में सूर्य दिनों तक गायब रहता। सूर्य की वापसी के लिए पैंतीस दिन के बाद पहाड़ की चोटियों पर लोग स्काउट भेज देते। प्रथम रश्मि के आगमन की शुभ सूचना के साथ ही स्काउट वापिस लौटते। इसी अवसर पर यूलटाइड (yuletide) नामक त्योहार मनाया जाता। प्रज्वलित अग्नि के आसपास खानपान का आयोजन चलता है। अनेक स्थलों पर लोग वृक्षों की शाखाओं से सेब लटका देते हैं। जिसका अर्थ होता है कि बसंत और ग्रीष्म अवश्य आएंगे।
पहले यूनान में भी इससे मिलता जुलता एक त्योहार मनाया जाता था। इसमें लोग देवता क्रोनोस (kronos) की सहायता करते थे ताकि वह ज्यूस (jeus) तथा उसकी साथी दुष्ट आत्माओं से लड़ सके।
कुछ किवंदंतियां यह भी कहती हैं कि ईसाइयों का क्रिसमस त्योहार नास्तिकों के दिसम्बर समारोह को चुन्नौती हैं, क्योंकि 25 दिसम्बर मात्र रोम मैसोपेटामिया, बेबिलोन, सकैण्डिनेनिया या यूनान के लिसटपिविज का दिन ही नहीं था, अपितु उन पश्चिमी लोगों के लिए भी था, जिनका मिथराइज धर्म ईसाइयत के विरूद्ध था।
ईसाइयों का धर्मग्रंथ बाइबल के नाम से माना जाता है। मूलत: यह यहूदियों और ईसाइयों का साझा धर्म ग्रंथ है। जिसके ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट दो भाग हैं। ओल्ड टेस्टामेंट में क्राइस्ट के जन्म से पहले के हालात अंकित हैं। इसमें 39 पुस्तकें हैं। न्यू टेस्टामेंट में ईसा का जीवन, शिक्षाएं एवं विचार हैं। इसमें 27 पुस्तकें है। यानी बाईबल 66 पुस्तकों का संग्रह है, जिसे 1600 वर्षों में 40 लेखकों ने लिखा। इसमें मिथकीय, काल्पनिक और ऐतिहासिक प्रसंग हैं। ओल्ड टेस्टामेंट में क्राइस्ट के जन्म विषयक भविष्यवाणी है। एक किंवदंती के अनुसार बढ़ई यूसुफ तथा उसकी मंगेतर मेरी नजरेन में रहते थे। मेरी को स्वप्न में भविष्यवाणी हुई कि उसे देवशिशु के जन्म के लिए चुना गया है। इसी बीच सम्राट ने नए कर लगाने हेतु लोगों के पंजीकरण की घोषणा की, जिसके लिए यूसुफ और मेरी को अपने गांव बेथलहम जाना पड़ा। मेरी गर्भवती थी। कई दिनों की यात्रा के बाद वह बेथलहम पहुँची। तब तक रात हो चुकी थी। उसे सराय में विश्राम के लिए कोई स्थान न मिल सका। जब यूसुफ ने विश्रामघर के रक्षक को बताया कि मेरी गर्भवती है और उसका प्रसव समय निकट है तो उसने पास के पहाड़ों की उन गुफाओं के विषय में बताया, जिनमें गडरिए रहते थे । यूसुफ और मेरी एक गुफा में पहुँचे। यूसुफ ने खुरली साफ की। उसमें नर्म, सूखी, साफ घास का गद्दा बनाया। अगली सुबह मेरी ने वहीं शिशु को जन्म दिया। देवेच्छा के अनुसार उसका नाम यूसुफ रखा गया। कालान्तर में बारह वर्षीय यीशू ने ही धर्मचर्या में श्रोताओं को मुग्ध कर लिया। तीस वर्ष की आयु में अपने चचेरे भाई जान से बपतिसमा (अमृत) ग्रहण किया। शासक द्वारा जान की हत्या के बाद वे खुद बपतिसमा देने लगे। यीशु के प्रचारों के कारण यहूदी शासक और कट्टरपंथी उनके विरोधी बन गए। उन पर अनेक अपराध थोपे गये। कोड़े मारे गए। सूली पर लटकाया गया। मृत्युदंड दिया गया। आज का क्रिसमस का त्योहार प्रतिवर्ष यीशू के जन्म दिन यानी मुक्तिदाता मसीहा के आविर्भाव के उपलक्ष में मनाया जाता है, भले ही इसके मूल में अनेक देशों की परम्पराओं का सम्मिश्रण है।
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संपर्क:
डॉ0 मधु सन्धु , बी-14, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर-143005, पंजाब।

Shri Hanuman Chalisa

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Ant kaal raghubar pur jaie Jaha janam hari bhagat kahaei
Aur devta chitna dhareyo Hanumat seye sarav sukh karaei
Sankat kate mite sab pera Jo sumere hanumat balbira
Jai jai jai hanuman gusai Kripa karo guru dev ke naai
Jo sat bar pat kar koi Chutehi bandhi maha sukh hoai
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Doha
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